मोदी सरकार को देश में दालों की कीमतों में हो रही उछाल से चिंता है। दलहन फसलों के उत्पादन में कमी के कारण उड़द, मूंग और अरहर जैसी दालों की कीमतें बढ़ रही हैं। इसके बावजूद, कुछ राज्यों में दालों की उत्पादन में बढ़ोतरी होने के बावजूद भी लोगों को इसकी परेशानी है। इस पर ध्यान देते हुए मोदी सरकार ने जमाखोरी को रोकने के लिए सख्त कदम उठाये हैं। उन्होंने दाल आयातकों से भंडार घोषित करने को कहा है ताकि दालों की जमाखोरी रोकी जा सके। इसके अलावा, दाल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए घरेलू बाजार में दालों का नियमित आधार पर भंडार रखने के निर्देश दिए गए हैं। इससे दालों की कीमतों में तेजी कम हो सकती है। अब तक दालों की कीमतों में तकरीबन 1200 रुपये प्रति क्विंटल तक का उछाल देखा गया है।
दाल की कीमतें बाजार की तरह अस्थिर हो रही हैं। इसके बावजूद, बुधवार को उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने दाल की कीमतों में कमी लाने के लिए अपनी पहल की घोषणा की है। यह नयी पहल दाल के बड़े आयातकों से यह सुनिश्चित करने के लिए है कि वे नियमित आधार पर और पारदर्शी तरीके से उनके पास उपलब्ध भंडारों के बारे में जानकारी दें। इसके अलावा, मंत्रालय ने बाजार में दालों की उपलब्धता को बाधित नहीं करने के लिए उन्हें जमाखोरी नहीं करने की अपील की है।
इसके बाद भी, दाल की कीमतों में एक तेजी आई है। अरहर दाल की कीमत में भी रिकार्ड बढोतरी हुई है और इससे बाजार पर भी असर पड़ रहा है। फरवरी से अब तक, अरहर के दाल की कीमतों में 1200 रुपये प्रति क्विंटल का उछाल देखा गया है। अब यह 10500 रुपये तक पहुंच गया है, जो कि फरवरी में 8550 से 9000 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ गया है।